लेकिन

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था आज की दास्तां हमारी है -गुलजार

Friday, February 19, 2021

कोरोना का खतरा अभी टला नहीं

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कोरोना अभी गया नहीं है किंतु हमने मान लिया है कि यह जा चुका है। चूंकि देश और राज्यों में अब सबकुछ खुल चुका है अतः बेपरवाही भी उस...
Monday, October 19, 2020

खबरिया चैनल और भाषा

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 कुछ खबरिया चैनलों पर 'भाषा' का अजीब ही खेल चल रहा है। सड़क पर बोली जाने वाली भाषा चैनलों पर आ गई है। किसी को कुछ भी बोल दिया जा रहा ...
Monday, August 31, 2020

दम तोड़ती साहित्यिक पत्रिकाएं

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  पहल , तद्भव , वसुधा , अकार , कथाक्रम आदि पत्रिकाएं कितनों के यहां आती हैं और कितने लोग इन्हें वाकई पढ़ते हैं। कम शायद बहुत ही कम। कुछ ही ल...
1 comment:
Saturday, May 2, 2020

मजबूर हैं क्योंकि वे मजदूर हैं

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बार-बार यही ख्याल मन में आ रहा है कि इस दफा 'मजदूर दिवस' किस आधार पर मनाएंगे हम! एक ऐसे समय में जब हमने बड़ी संख्या में मजदूरों को...
Wednesday, March 4, 2020

चिट्ठियों का वो दौर

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अंतिम चिट्ठी कब और किसे लिखी थी, कुछ याद नहीं। ऐसा भी नहीं है कि अब चिट्ठियां लिखी ही नहीं जातीं। निश्चित ही लिखी जाती होंगी पर या तो सरक...

हिंसा और सोशल मीडिया

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क्या सोशल मीडिया से मुझे अब हमेशा के लिए दूर हो जाना चाहिए? बार-बार यह सवाल मेरे मन में आता है। जो और जैसे हालात इन दिनों सोशल मीडिया के ...
Friday, February 28, 2020

बांटिए नहीं, बांटने से बचाइए देश को

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वो दरअसल सब जानते हैं कि वो क्या कर रहे हैं। देश में साम्प्रदायिक आग की भट्टी जलाकर 'शांति' की अपील कर रहे हैं। खुद को सेक्युलर घ...
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Anshu Mali Rastogi
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